सौर ऊर्जा से गुलजार होंगे प्रदेश के 4700 सरकारी स्कूल
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में अब बच्चों को बिजली कट के कारण गर्मी से नहीं जूझना पड़ेगा। साथ ही स्कूलों में बंद पड़े एजुसेट भी फिर से काम करते नजर आएंगे। इसके लिए सरकार ने प्रदेश के लगभग 4700 स्कूलों में सोलर पैनल लगाने की मंजूरी दी है।
लगभग ढाई सौ करोड़ का बजट भी मंजूर किया जा चुका है। सोलर सिस्टम से जनरेट होने वाली बिजली से स्कूल समय में पंखे व एजुसेट चलेंगे। साथ ही कंप्यूटर लैब में भी बिजली सप्लाई होगी।
प्रदेश में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, इनमें से 4700 स्कूल ग्रामीण क्षेत्र में हैं। गांवों में दिन के समय केवल दो घंटे ही बिजली आती है। इस कारण बच्चों को गर्मियों में काफी परेशानी होती है।
साथ ही बिजली न होने के कारण एजुसेट और कंप्यूटर लैब बंद हैं। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में करीब 14 हजार एजुसेट लगे हुए हैं। इनमें से नौ हजार चलने की हालत में हैं और पांच हजार बंद पड़े हैं।
प्रतिदिन 4500 से पांच हजार एजुसेट चलाए जाते हैं। एजुसेट नहीं चलने के पीछे स्कूल में बिजली नहीं आने का हवाला दिया जाता है। मगर सोलर पैनल लगने के बाद शिक्षकों का कोई बहाना नहीं चलेगा।
स्कूलों में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार की तरफ लगभग ढाई सौ करोड़ का बजट मंजूर हो चुका है। लगभग तीन हजार सेकेंडरी स्कूल और बाकी मिडल व प्राइमरी स्कूलों में ये सोलर पैनल लगाए जाएंगे। बच्चों को पढ़ने के लिए बेहतर माहौल देने के लिए शिक्षा विभाग कई कदम उठा रहा है-राजीव रतन निदेशक, सेकेंडरी एजुकेशन
ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में अब बच्चों को बिजली कट के कारण गर्मी से नहीं जूझना पड़ेगा। साथ ही स्कूलों में बंद पड़े एजुसेट भी फिर से काम करते नजर आएंगे। इसके लिए सरकार ने प्रदेश के लगभग 4700 स्कूलों में सोलर पैनल लगाने की मंजूरी दी है।
लगभग ढाई सौ करोड़ का बजट भी मंजूर किया जा चुका है। सोलर सिस्टम से जनरेट होने वाली बिजली से स्कूल समय में पंखे व एजुसेट चलेंगे। साथ ही कंप्यूटर लैब में भी बिजली सप्लाई होगी।
प्रदेश में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, इनमें से 4700 स्कूल ग्रामीण क्षेत्र में हैं। गांवों में दिन के समय केवल दो घंटे ही बिजली आती है। इस कारण बच्चों को गर्मियों में काफी परेशानी होती है।
साथ ही बिजली न होने के कारण एजुसेट और कंप्यूटर लैब बंद हैं। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों में करीब 14 हजार एजुसेट लगे हुए हैं। इनमें से नौ हजार चलने की हालत में हैं और पांच हजार बंद पड़े हैं।
प्रतिदिन 4500 से पांच हजार एजुसेट चलाए जाते हैं। एजुसेट नहीं चलने के पीछे स्कूल में बिजली नहीं आने का हवाला दिया जाता है। मगर सोलर पैनल लगने के बाद शिक्षकों का कोई बहाना नहीं चलेगा।
स्कूलों में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार की तरफ लगभग ढाई सौ करोड़ का बजट मंजूर हो चुका है। लगभग तीन हजार सेकेंडरी स्कूल और बाकी मिडल व प्राइमरी स्कूलों में ये सोलर पैनल लगाए जाएंगे। बच्चों को पढ़ने के लिए बेहतर माहौल देने के लिए शिक्षा विभाग कई कदम उठा रहा है-राजीव रतन निदेशक, सेकेंडरी एजुकेशन
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