एक तरफ जहां सरकारी नौकरी की चाहत में दिन-रात मेहनत करते जा रहे हैं। वहीं 85,00 लोगों ने सरकारी नौकरी छोड़ दी है।
देश में केन्द्रीय सशस्त्र सेना बल के अधिकारी और जवान बहुत तेजी के साथ अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। नौकरी छोड़ने वालों की तादाद पिछले वर्ष की तुलना में 30 फीसदी बढ़ गई है।
नौकरी छोड़ने का मुख्य कारण काम करने की कठिन परिस्थितियां और करियर को लेकर होने वाली अनिश्चितता है। नक्सली और बॉर्डर क्षेत्रों में काम करने वाले केन्द्रीय सशस्त्र बल सेना के अधिकारियों और जवानों में इस बात को लेकर खासा रोष है।
टीओआई की खबर के मुताबिक वर्ष 2013 में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के 80 अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। पिछले चार-पांच वर्षों के दौरान यह मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2012 की तुलना में यह आंकड़ा 30 फीसदी अधिक है।
जबकि लोअर रैंक पर काम करने वाले जवानों ने बहुत तेजी से वॉलिंटेरी रिटायरमेंट ले लिया है। अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि 8500 लोगों ने केन्द्रीय सशस्त्र सेना बल की नौकरी छोड़ दी है।
देश में केन्द्रीय सशस्त्र सेना बल के अधिकारी और जवान बहुत तेजी के साथ अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। नौकरी छोड़ने वालों की तादाद पिछले वर्ष की तुलना में 30 फीसदी बढ़ गई है।
नौकरी छोड़ने का मुख्य कारण काम करने की कठिन परिस्थितियां और करियर को लेकर होने वाली अनिश्चितता है। नक्सली और बॉर्डर क्षेत्रों में काम करने वाले केन्द्रीय सशस्त्र बल सेना के अधिकारियों और जवानों में इस बात को लेकर खासा रोष है।
टीओआई की खबर के मुताबिक वर्ष 2013 में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के 80 अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। पिछले चार-पांच वर्षों के दौरान यह मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2012 की तुलना में यह आंकड़ा 30 फीसदी अधिक है।
जबकि लोअर रैंक पर काम करने वाले जवानों ने बहुत तेजी से वॉलिंटेरी रिटायरमेंट ले लिया है। अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि 8500 लोगों ने केन्द्रीय सशस्त्र सेना बल की नौकरी छोड़ दी है।
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